175 कर्मचारियों-अभियंताओं ने जीपीएफ से लोन मांगा
पावर कॉरपोरेशन मुख्यालय में हुए पीएफ घोटाले ने कर्मचारियों व अभियंताओं की मुश्किल बढ़ा दी हैं। कर्मचारियों व अभियंताओं को जीपीएफ व सीपीएफ की रकम डूबने की चिंता सता रही है। ऐसे में बुढ़ापे का सहारा जीपीएफ की रकम को पाने के लिए 175 कर्मचारियों व अभियंताओं ने नान रिफण्डेबल लोन के लिए आवेदन किया है। ट्रांसमिशन व वितरण मण्डल के इन कर्मचारियों का तर्क है कि कारपोरेशन के पास अप्रैल-18 से अब तक की जीपीएफ व सीपीएफ कटौती की रकम उपलब्ध है। इस रकम का कहीं निवेश नहीं हुआ है। ऐसे में उम्मीद है कि जीपीएफ कटौती की रकम का 75 फीसदी नान रिफण्डेबल लोन मिल जाएगा। कुछ रकम हाथ में तो आ जाएगी। भविश्य में पता नहीं रकम मिलेगी या नहीं।
पूर्वांचल विद्युत विरतरण निगम गोरखपुर जोन के विभिन्न वितरण खण्डों व ट्रांसमिशन जोन के वितरण खण्डों के यह सभी कर्मचारी आगामी तीन से चार साल में रिटायर्ड होने वाले है। इनमें से 40 कर्मचारी व अभियंता ऐसे है जो सीपीएफ कटौती से लोन मांग रहे है। इनमें से बहुत से कर्मचारियों ने मां की बीमारी, बेटी की शादी, मकान का निर्माण व अन्य कारणों को गिनाया है। ताकि लोन की रकम मिल सके। मुख्य अभियंता दफ्तर के चार लिपिकों ने भी जीपीएफ की रकम से नान रिफण्डेबल लोन के लिए आवेदन किया है। इसके साथ ही विभिन्न वितरण खण्डों के अभियंताओं व कर्मचारियों ने भी जीपीएफ व सीपीएफ कटौती की रकम का 75 फीसदी लोन मांगा है। उनका कहना है कि पावर कारपोरेशन के जीपीएफ ट्रस्ट बोर्ड के पास अप्रैल-18 से अबतक जीपीएफ कटौती की रकम जमा है। ऐसे में जो पहले लोन मांगेगा उसे लोन मिल भी जाएगा।अभी रकम के भुगतान में कोई संकट नहीं है। कुछ ही दिनों में यह रकम खत्म हो जाएगी। इसके बाद बड़ा संकट खड़ा होगा।
ट्रांसमिशन के एक एसई ने बताया कि वे तीन साल से अपने वेतन से 1.30 लाख रुपये कटवा रहे थे। अब जीपीएफ घोटाले ने रात व दिन का चैन छीन लिया है। पता नहीं क्या होगा? सेवानिवृति पर कटौती की रकम मिलेगी या नहीं। ऐसे में अभी लोन लेकर उसे बैंक में रखना ही अच्छा है। विद्युत कर्मचारी सयुक्त संघर्ष समिति के सचिव बृजेश त्रिपाठी व अध्यक्ष ऐश्वर्य सिंह का कहना है कि मरता क्या न करता। कार्यबहिष्कार के कारण राजस्व प्रभावित होने के बाद भी प्रदेश सरकार ने अबतक रकम की वापसी की जिम्मेदारी नहीं ली। ऐसे में कर्मचारी यदि लोन ले रहे हैतो वे ठीक कर रहे है। कम से कम लोन की धनराशि तो उनकी सुरक्षित हो जाएगी।
चार लाख की डिमाण्ड पर आया पैसा
विद्युत उपमुख्य लेखाधिकारी कार्यालय ने पिछले माह ही दो डिमाण्ड भेजी थी। एक एडवांस लोन था जबकि दूसरा एक कर्मचारी के सेवानिवृति का फाइलन हिसाब था। कारपोरेशन ने 20 नवम्बर को ही सम्बन्धित खण्ड के एक्सईएन के खाते में 4.49 लाख रुपये भेज दिया। इस माह डिमाण्ड 25 तक एकत्र की जाएगी। फिर उसे स्वीकृत कर कारपोरेशन मुख्यालय को भेजा जाएगा।
प्रयागराज के मुख्य अभियंता का पैसा फंसने की चर्चा गोरखपुर में
प्रयागराज जोन के मुख्य अभियंता महेश चंद्र शर्मा पिछले माह सेवानिवृत हो गए। उनके जीपीएफ कटौती का 70 लाख रुपये नहीं मिलने की चर्चा गुरुवार को कर्मचारियों व अधिकारियों में होती रही। कर्मचारियों के मुताबिक प्रयागराज जोन के दर्जन छोटे-बड़े अभियंताओं के देयकों का भुगतान नहीं होने की खबर ने टेंशन बढ़ा दी है। हम कर्मचारियों के पैसे का क्या होगा? जीपीएफ में निवेश सबसे सुरक्षित माना जाता था। लेकिन इस घोटाले ने इस निवेश पटल पर भी संकट खड़ा कर दिया है। इस घोटाले ने रात की नींद व दिन का चैन भी छीन लिया है। पेट काटकर कम खर्च में घर चलाकर हम कर्मचारी जीपीएफ में वेतन का 50 फीसदी कटवा रहे थे। बुढापे का सहारा इस रकम को बनाने की चाह में सबकुछ लूट गया।